नई दिल्ली. कोरोना महामारी (Corona pandemic) को अंतरराष्ट्रीय साजिश बता रहे दिल्ली के एमबीबीएस, एमडी डॉ. तरुण कोठारी (Dr. Tarun Kothari) इस वक्त सोशल मीडिया ( Social Media) सनसनी बने हुए हैं. उनके एक-एक वीडियो को यूट्यूब पर लाखों लोग देख रहे हैं. वे पहले ऐसे डॉक्टर हैं, जो सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि कोरोना सिर्फ एक साधारण फ्लू है और इसे एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गेम (International game) के तहत महामारी घोषित किया जा रहा है. डॉ. कोठारी ने डब्ल्यूएचओ (WHO) की भूमिका पर सवाल उठाए हैं साथ ही कहा है कि डब्ल्यूएचओ हर तीन से पांच साल पर ऐसा एक नया घोटाला (Scam) लेकर आता है. उन्होंने लोगों से मास्क न पहनने की भी अपील की है.
Big Reveal: Corona is not an epidemic, WHO is lying to meet drug companies – Dr. Kothari
कोरोना घोटाला नाम से किताब लिखने वाले डॉ. कोठारी ने न्यूज18 हिन्दी के सामने बेबाकी से अपना पक्ष रखा है. उन्होंने न्यायालय में पेश होने को तैयार रहने, पीछे से देश के बड़े बड़े डॉक्टरों का सपोर्ट होने का भी दावा किया है. डॉ. कोठारी पेशे से डॉक्टर हैं और एमबीबीएस पत्नी के साथ अपना प्राइवेट क्लिनिक चलाते हैं. इससे पहले दिल्ली में ही विधानसभा और एमसीडी का चुनाव भी लड़ चुके हैं.
आपने दावा किया है कि कोरोना कोई महामारी नहीं बल्कि एक साजिश है?
हां मैं ये बात पिछले छह महीनों से ही कह रहा हूं और आज फिर कहता हूं कि कोरोना कोई महामारी नहीं है बल्कि एक साधारण फ्लू है. इसे महामारी बताने की साजिश रची गई है.
आपके इस दावे का आधार क्या है ? आप किसे महामारी मानते हैं ?
अगर महामारी होती है तो इस शब्द को परिभाषित किया जाता है. ऐसा नहीं है कि किसी ने महामारी कह दिया तो मान ली. इसके दो मुख्य आधार होते हैं. पहला कि बीमारी कितनी तेजी से फैल रही है. दूसरा कि इससे कितने लोगों की मौत हो रही है. मान लीजिए बीमारी तेजी से फैल रही है लेकिन मौतें कम हैं तो वह महामारी नहीं है. या किसी बीमारी में मौतों का अनुपात ज्यादा है लेकिन उसके फैलने की गति तेज नहीं है तब भी इसे महामारी नहीं कहेंगे. कोरोना में भी यही है. मेडिकल में एक टर्म होता है आर नॉट. यह बीमारी का ट्रांसमिशन रेट है. इससे पता चलता है कि यह बीमारी तेजी से फैल रही है या नहीं.
टीबी की आर नॉट पांच से 10 के बीच होती है. जो कि महामारी नहीं है. खसरा की आर नॉट 10 से ऊपर होती है. साधारण कोरोना वायरस की आर नॉट 1- 4.4 है. जबकि कोविड.19 की आर नॉट 1-2.2 है. जब ये इतना कम है तो ये महामारी कैसे हो सकती है.
दूसरी चीज होती है मृत्यु दर. टीबी के अलावा अन्य संक्रामक रोगों की मृत्यु दर 10 फीसदी से भी ऊपर होती है. जबकि कोरोना की मृत्यु दर तीन फीसदी के आसपास बता रहे हैं. यह भी सही नहीं है. कोरोना एक साधारण फ्लू है. मैं कोरोना को महामारी नहीं मानता.
अगर यह साधारण फ्लू है तो इतनी मौतें कैसे?
भारत में अगर कॉज ऑफ डेथ कोरोना को निकाल दिया जाए तो सही मायनों में मृत्यु दर 0.1 फीसदी भी नहीं है. देखिए हो क्या रहा है कि किसी व्यक्ति को हर्ट अटैक आया और उसका कोरोना टेस्ट हुआ, जिसमें वह पॉजिटिव आया तो डॉक्टर उसकी मौत का कारण कोरोना लिख रहे हैं, जबकि उसकी मौत हर्ट अटैक से हुई है. ऐसा ही बीपी, डायबिटीज यहां तक कि दुर्घटना के मरीजों के साथ भी हो रहा है. उनकी मौत चाहे किसी भी बीमारी से होती है लेकिन वह कोरोना के खाते में चली जाती है और रिकॉर्ड यह बन जाता है कि कोरोना से मौत हुई है. अब जिसकी मृत्यु दर 0.1 फीसदी भी नहीं है तो वह महामारी कैसे हो सकती है.
फिर अमेरिका, ब्राजील, स्पेन और इटली में इतनी ज्यादा मौतें कोरोना से कैसे हुई हैं?
वहां भी कोरोना डेथ रेट 0.1 फीसदी से ज्यादा नहीं है. वहां भी यही हाल है कि मरीज की इम्यूनिटी कमजोर होने से वह चाहे किसी भी बीमारी की चपेट में आकर मर गया लेकिन अगर उसका टेस्ट होने पर वह कोरोना पॉजिटिव है तो उसे कोरोना से मौत लिखा जा रहा है.
अपने दावे के पक्ष में आपके पास तर्क के अलावा कोई सबूत भी है ?
डब्ल्यूएचओ पिछले छह महीने से रोजाना अपने स्टेटमेंट बदल रहा है. हम छह महीने से एक ही बात बोल रहे हैं कि ये महामारी नहीं है, साधारण फ्लू है. डब्ल्यूएचओ के साथ ही ब्रिटिश सरकार की वेबसाइट पर सबसे पहले इसे हाइली इन्फेक्शियस डिजीज बताया गया था लेकिन बाद में उन्होंने भी इसे बदल दिया. इतना ही नहीं अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल सीडीसी सार्वजनिक रूप से कह रही है कि कोरोना फैमिली के अन्य वायरस या साधारण सर्दी से ग्रस्त होने पर भी कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है. इससे ज्यादा और क्या सबूत दिए जाएं.
फिर हमारे देश में कोरोना से इतने डॉक्टरों की मौत क्यों हुई है ?
डॉक्टर भी समाज का ही हिस्सा है. जैसे अन्य जीवों की मौत होती है, ऐसे ही डॉक्टरों की भी होती है. प्रति महीने हमारे देश में 400 से 500 डॉक्टरों की मौत होती है. पिछले चार महीनों में हमारे यहां करीब दो हजार डॉक्टर मरे हैं. ये हर साल के हर महीने होती है. अब इनमें से किसी का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आ गया तो उन्हें लिख दिया कि कोरोना से मर गए.
दूसरी बात यह है कि पूरे दिन मास्क और पीपीई किट पहने डॉक्टर न तो दिन में ढंग से पानी पी सकते हैं न ही बार बार यूरिन ही पास कर पाते हैं. पसीने से लतपथ रहते हैं. इससे इनकी इम्यूनिटी इतनी कमजोर हो जाती है कि साधारण सा फ्लू भी इनके लिए जानलेवा बन जाता है. यही यहां हो रहा है.
कई ऐसी प्रीकॉशनरी दवाएं हैं जो बहुत खतरनाक ड्रग में आती हैं, जिन्हें डॉक्टर ले रहे हैं. उनके साइड इफैक्ट से भी मौतें हो रही हैं.
जब यह सब झूठ है तो देश विदेश में कोई आवाज क्यों नहीं उठी, कोई डॉक्टर विरोध क्यों नहीं कर रहा?
आवाज उठ रही है लेकिन मीडिया दिखाता नहीं. हाल ही में जर्मनी में करीब दस लाख लोग सड़कों पर उतरे हैं. अमेरिका में प्रदर्शन हो रहा है लेकिन कहीं कोई दिखा नहीं रहा है.
कोरोना घोटाला नाम से किताब लिखने वाले डॉ. कोठारी ने कोरोना महामारी को गेम बताया है.
डॉक्टरों की बात करें तो जो सरकारी सिस्टम के अंदर हैं, उनकी मजबूरी है वे आवाज उठा नहीं सकते. आज बोलेंगे तो कल उनकी नौकरी चली जाएगी. जो प्राइवेट अस्पताल लेकर बैठे हैं उन्हें भी खतरा है, क्योंकि लोग मीडिया के द्वारा गाइडेड हैं, कोरोना को लेकर गंभीर न होने वाले डॉक्टर को ही पागल बोलने लगते हैं. ऐसे में उसका क्लिनिक बंद हो जाएगा. उस पर कोर्ट केस हो जाएगा. अगर कुछ बोलता भी है तो मीडिया उसकी बात नहीं सुनती. मैंने खुद पिछले छह महीने में 80 से ज्यादा वीडियो सोशल मीडिया पर डाले हैं लेकिन उनमें से 20 से ज्यादा वीडियो हटा दिए गए. फेसबुक पेज हटा दिए गए. सबकी मजबूरी है. अभी तो देश में बड़े से बड़ा आदमी भी कुछ नहीं बोल सकता.
क्या डॉक्टर आपकी बातों को सपोर्ट कर रहे हैं ?
मुझे मेरे पीछे से सारे डॉक्टर्स का साथ मिला हुआ है लेकिन वे सामने नहीं आना चाहते. मेरे वीडियोज वे देखते हैं, शेयर करते हैं और फोन करके बोलते हैं कि सच यही है.
जो डर अन्य डॉक्टरों को है वह आपको नहीं है?
नहीं! मुझे किसी प्रकार का कोई डर नहीं है. न मृत्यु का और न ही अपमान का. जो सच है मैं उसके साथ हूं. मेरा प्राइवेट अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर है. मैं वहीं रोजाना अपने रोगी देखता हूं.
सोशल मीडिया से अलग, आपने सरकार तक अपनी बात पहुंचाई?
मैंने भारत सरकार सहित देश के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव सहित तमाम मुख्यमंत्रियों को इन छह महीनों में 400-500 ईमेल भेजे हैं लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आया. तब जाकर मैंने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी. अगर किसी को पता नहीं है तो हम बता सकते हैं लेकिन कोई सुनना ही न चाहे तो क्या ही कर सकते हैं.
अगर ये साजिश है तो भारत सरकार इस वैश्विक साजिश का पर्दाफाश क्यों नहीं कर रही ?
इसके पीछे दो वजह हो सकती हैं पहली यह कि इन्हें जानकारी नहीं है और अब ये वैश्विक दबाव में हैं तो इन्हें वही मानना होगा जो विश्व में दिखाई दे रहा है. ये फंस चुके हैं. दूसरी वजह ये भी सकती है कि ये भी साजिश में शामिल हों या इनके भी कोई इंटरेस्ट हों.
कोरोना महामारी से भारत में बेकाबू होती जा रही है.
ऐसा कहा जा रहा है कि अब वायरस कमजोर हो रहा है?
यही तो गेम प्लान का हिस्सा है. पहले वायरस को बढ़ाचढ़ा कर महामारी घोषित कर पैनिक कर दो फिर धीरे धीरे कहो कि वायरस कमजोर हो रहा है, इतना प्रभावशाली नहीं रहा. वैक्सीन आने पर ठीक हो जाएगा. जबकि वायरस तो पहले से ही कमजोर था. मैं जब एमबीबीएस का छात्र था तो कोरोना वायरस तब भी था. जिस बीमारी के बारे में लोगों को पता ही नहीं चल रहा और वे ठीक हो रहे हैं तो यह महामारी कैसे.
गेम प्लान, साजिश ये कौन कर रहा है?
डब्ल्यूएचओ इसमें मुख्य कड़ी है. इससे पहले भी 2010 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था. कई देशों में लॉकडाउन हुआ था.लेकिन उसकी जांच पीएससीई ने की तो पाया कि डब्ल्यूएचओ झूठ बोल रहा था. डब्ल्यूएचओ के अधिकारी फार्मा कंपनी के साथ मिले हुए थे और झूठी महामारी घोषित की. इसके अलावा मर्स और सार्स को लेकर भी यही हल्ला मचाया था.
क्या कोरोना वैक्सीन भी साजिश है?
हां बिल्कुल, फार्मा कंपनी दवाओं को लेकर साजिश करती हैं. दवाओं को बेचने के लिए गेम तैयार होता है और महामारी घोषित कर दी जाती है. वैक्सीन भी इसका हिस्सा है. जैसा कि ये कह रहे हैं कि वायरस स्ट्रेन बदलता है. तो कब तक कितने बदलावों में वैक्सीन बनेगी. एक और खास बात है कि 2015 में ही बिल गेट्स को पता था कि अगला विश्व युद्ध इस कोरोना से होगा. उन्होंने कहा भी था.
आप कोरोना को लेकर कोई एहतियात बरतते हैं?
मैं पिछले छह महीने से अपने क्लिनिक पर बिना मास्क और पीपीई किट पहने रोगियों को देख रहा हूं. मुझे तो कुछ नहीं हुआ. क्या उनमें कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं होगा. मैं सभी रोगियों को भी यही समझाता हूं कि यह साधारण फ्लू है.
लोगों को गुमराह करने की बात कहकर कोई आप पर मुकदमा दर्ज करा दे तो?
मैंने कोरोना पेनडेमिक स्कैंडल, द बिगेस्ट स्कैम इन द हिस्ट्री ऑफ मेनकाइंड किताब लिखी है. यह ईबुक है. लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं. इसमें मैंने 188 सवालों के जवाब दिए हैं. मैं ये साबित कर सकता हूं कि ये महामारी नहीं है बल्कि एक साधारण बीमारी है. मुझे कोर्ट में बुलाया जाता है तो मैं जवाब दे सकता हूं.
आप दिल्ली में बार चुनाव लड़ चुके हैं तो कहीं से पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं है ?
इस वक्त मैं किसी पार्टी में नहीं हूं. ये मेरा पॉलिटिकल बयान नहीं है. मैंने चुनाव लड़ा था वह दूसरा समय था. इस वक्त मैं देश की समस्या पर बात कर रहा हूं
– साभार न्यूज़18